बाल्यावस्था का परिभाषा , बाल्यावस्था में मानसिक विकास या संज्ञानात्मक विकास एवं शारीरिक विकास का वर्णन करें



बाल्यावस्था का परिभाषा ( definition of childhood )

बाल्यावस्था शैशवावस्था के बाद आरंभ होता है | यह बाल्यावस्था 6 से 12 वर्ष तक की अवस्था को बाल्यावस्था के नाम से पुकारा जाता है | इस अवस्था को मानव विकास का अनोखा काल कहा जाता है |

बाल्यावस्था को समझना बहुत कठिन होता है क्योंकि विकास की दृष्टि से यह एक जटिल अवस्था है |इस अवस्था में विभिन्न प्रकार के शारीरिक मानसिक सामाजिक परिवर्तन बालक बालिकाओं में आते हैं |

रेबर के अनुसार - मानसिक विकास का तात्पर्य संज्ञानात्मक विकास के उन सभी प्रणाली परिवर्तनों से है जो समय बीतने के साथ व्यक्ति में घटित होते हैं |

जेम्स ड्रेवर के अनुसारव्यक्ति के जन्म से परिपक्वता तक की मानसिक क्षमताओं एवं मानसिक कार्यों के उत्तरोत्तर प्रकटन  एवं संगठन की प्रक्रिया को मानसिक विकास कहा जाता है |

कॉल व ब्रूस के अनुसार ब्रूसबाल्यावस्था को जीवन का अनोखा काल  है |






 बाल्यावस्था को दो भागों में बांटा गया है

  1. पूर्व बाल्यावस्था  
  2. मध्य बाल्यावस्था

शुरुआत से 3 वर्ष को पूर्व बाल्यावस्था कहा जाता है यानी 6 से 9 वर्ष को कहते हैं और 9 से 12 वर्ष को मध्य बाल्यावस्था कहते हैं |

फ्रायड के अनुसारइस अवस्था में बालक में तनाव की स्थिति समाप्त हो जाती है तथा वह बाहर की दुनिया को समझने लगता है यह अवस्था बालक के व्यक्तित्व का निर्माण की होती है |

बाल्यावस्था मानसिक विकास या संज्ञानात्मक विकास 

बाल्यावस्था में मानसिक विकास की गति अति तीव्र होती है ,बालक की मानसिक क्रियाओं में परिवर्तन दिखाई पड़ती है |
  • 6  वर्षबालक के वृद्धि एवं मानसिक शक्तियों एवं पर्याप्त विकास हो जाता है |
  • 7  वर्ष छोटी-छोटी घटनाओं का वर्णन कर लेता है वस्तुओं में समानता और अंतर बताता है |
  • 8  वर्ष छोटी-छोटी समस्या को हल करने की क्षमता विकसित कर लेता है | जैसे कहानियां,कविता याद कर लेता है |                     
  • 9  वर्ष - तारीख ,समय , वर्ष आदि बताने लगता है |
  • 10 वर्ष - बालक 3 से 4 मिनट में 60-70 शब्द कह सकता है दैनिक जीवन के नियमित कार्य को समय से करने में सफल हो जाता है |                  
  • 11 वर्ष बालक कठिन शब्दों को समझने लगता है जैसे वह गिनती (100-1 ) को उल्टी की         ओर गिन लेता है |                  
  • 12 वर्ष बालक में तर्क और समस्या को हल करने की योग्यता का विकास हो जाता है |विवेक में वृद्धि हो जाती है जिससे वह दूसरे लोगों को सलाह भी देने लगता है और वह देखी हुई वस्तु  या घटना के बारे में 75 % तक बातें बता सकता है |                       

मानसिक विकास एवं संज्ञानात्मक विकास विशेषताएं        

  • मानसिक विकास की दर धीमी हो जाती है 
  • रचनात्मक कार्य करना सीख लेता है
  • सामाजिक और नैतिकता के गुणों में तेजी से वृद्धि होने लगता है
  • आत्मनिर्भरता
  • संवेदनशीलता तर्क स्मरण चिंतन मनन
  • कार्य करना कर कारण में संबंध स्थापित करना सीख जाता है 
  • संग्रहण की प्रवृत्ति विकसित
  • यौन ऊर्जा 
  • चोरी करने एवं झूठ बोलने की आदत विकसित होती है |
बाल्यावस्था में शारीरिक विकास

जन्म के समय से लेकर मृत्युपर्यंत तक व्यक्ति निरंतर बदलता रहता है | यह बाल्यवस्था से किशोरावस्था तक कभी भी स्थिरता की स्थिति में नहीं होता और वह प्रौढ़ावस्था को ग्रहण करता है |इस प्रकार विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसका प्रभाव जन्म से पूर्व ही हो जाता है जो भी हो जीवन के शुरू के वर्ष में शारीरिक परिवर्तन की मात्रा में तीव्रता रहती है |

मानव शरीर का विकास गर्भावस्था से आरंभ होता है गर्भावस्था के विकास के जन्म पूर्व शारीरिक विकास भी कहा जा सकता है माना तो यह भी जाता है कि मानव के विकास की आधारशिल गर्भावस्था में ही हो जाती है |

मनोवैज्ञानिक के अनुसार

  • स्नायु मंडल ( Nervous System ) - विकास के साथ वृद्धि विकास में वृद्धि होती है | जिससे उसके व्यवहार को एक नया रूप मिलता है, जिस सामाजिक अनुमोदन आनंद प्राप्त करता है उसका संबंध दूसरों के विचारों भाव को समझने की योग्यता से संबंधित होता है |
  • मांसपेशियों में वृद्धि (Growth in Muscles ) - मांसपेशी की  वृद्धि होने के साथ उसकी शक्ति में विकास होता है जो कि बालक की क्रियाशीलता में तथा उन क्रियाओं में दिखाई देती है जो परिवर्तन होती रहती हैं | बालक के मांसपेशियां का विकास खेलकूद पर निर्भर करता है |
  • अंतः स्रावी ग्रथियाँ (Endocrine Glands )अंत स्रावी ग्रंथियों में कार्यों में परिवर्तन  होने से नवीन परिवर्तित व्यवहारों व्यवहारों का प्रकाशन होता है |
  • संपूर्ण शारीरिक ढांचा (Total Physical Structure ) संपूर्ण शारीरिक ढांचे में परिवर्तन से  उसकी शारीरिक रचना, लंबाई, भार, शारीरिक अनुपात और सामान्य शारीरिक रुप आदि बालक के के व्यवहार को प्रभावित करता है | अतः यह कहा जा सकता है कि शारीरिक विकास और स्वास्थ्य का व्यक्ति के व्यवहार पर बहुत प्रभाव पड़ता है |

शारीरिक विकास के नियम

1. मस्तकाधोमुखी विकास का नियम (Law of Cephalocaudal Development )यह नियम  शारीरिक विकास की दिशा को निर्देशित करता है | इन नियम के अनुसार सिर के भाग और फिर क्रमशः धड़, हाथों ,और पैरों का विकास होता है |

2. विकास चक्र का नियम (Law of Cyclic Development ) मनोवैज्ञानिक के अध्ययनों से ज्ञात हुआ है की संपूर्ण मानव विकास है की प्रक्रिया निम्नलिखित 4 में होती है |

प्रथम चक्र   :  जन्म से 2 वर्ष तक
द्वितीय चक्र :  2 से 11 वर्ष तक 
तृतीय चक्र  :  11 से 15 वर्ष तक
चतुर्थ चक्र   :  15 से 18 वर्ष तक |

शारीरिक विकास की विशेषताएं

शारीरिक रचना का विकास  - इसके अंतर्गत शरीर का आकार भार, ऊंचाई ,शारीरिक अंगों का शरीर के साथ अनुपात हड्डियों ,दांत आदि का विकास सम्मिलित है |

शारीरिक क्रिया विकास  -  इसके अंतर्गत तंत्रिका तंत्र ह्रदय और रोधी तंत्र रुधिर तंत्र, स्वसन तंत्र, पाचन तंत्र,मांसपेशियां अंतः स्रावी ग्रंथियों आदि का विकास  सम्मिलित है |

बाल्यावस्था को 6 से 12 वर्ष तब की आयु  तक माना जाता है इस अवस्था के दो भागों में बांटा गया है|
  1. प्रथम भाग   :   6 से 9 वर्ष तक   ( विकास की गति तेज होती है )
  2. द्वितीय भाग :   9 से 12 वर्ष तक विकास गति कुछ मंद पड़ जाती है )

1. लंबाई ( Height ) - लंबाई में वृद्धि की दृष्टि से या काल विशेष रूप से महत्वपूर्ण कहा जाता है इस अवस्था में लंबाई बढ़ने की दर 2 से 3 इंच प्रति वर्ष रहती है |

2. भार ( Weight ) - लंबाई की भाँति भार में भी बालिका 9 वर्ष तक बालक से कम रहती है तथा 10 से 12 वर्ष के दौरान बालको  से अधिक हो जाति है |

3. मांसपेशियां ( Muscles ) बाल्यावस्था में मांसपेशियों का विकास  मंद गति से होता है | 

  • 8 वर्ष की आयु में मांसपेशियों का भार शरीर के कुल भार का 75 परसेंट होता है |
  • और 12 वर्ष में बढ़कर 33% हो जाता है |

 4. हाथ पैर का विकास ( Hands and Legs ) - बाल्यावस्था में बालों  के पैर लंबे एवं सीधे हो जाते हैं तथा बालिकाओं के पैर अंदर की ओर कुछ झुकाव ले लेते हैं |

5. दाँत (Teeth ) - बाल्यावस्था के आरंभ में दूध के दांत गिरने  लगते हैं | और नए अस्थाई दांत आने आरंभ होने लगते हैं लगभग 12-13 वर्ष में सभी दाता जाते हैं |

6. हृदय गति ( Heart Beating )  शैशवावस्था की तुलना में बाल्यावस्था में धड़कनों की गति कम हो जाती है 18 वर्ष के बालकों ह्रदय प्रति मिनट 85 बार धड़कता है |

7. यौन अंगों का विकास (Development of Sex Organs ) - बालकों तथा बालिकाओं दोनों के प्रजनन अंग का विकास भी बाल्यावस्था में होने लगता है|  किंतु बालकों मैं यह विकास धीमी गति से होता है लेकिन 11 से 12 वर्ष तक आते-आते बालिकाओं के यौन अंगों का विकास तीव्र गति से बढ़ता है |

शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

1. वंशानुक्रम ( Heart Beating )वंशानुक्रम या अनुवांशिकता शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाला सर्वप्रथम कारक है |

बेन्डिक्ट के अनुसार "अनुवांशिकता माता पिता के जैविक गुणों का सन्तति हस्तान्तरण है |"

फ्रांसीस  गाल्टन  के अनुसार - "मानव विकास में पोषण की अपेक्षा अनुवांशिकता सर्वाधिक सशक्त कारक है |"
2. वातावरण ( Environment ) मनोवैज्ञानिक राँस के अनुसार कोई बाह्य शक्ति जो हमें प्रभावित करती है वातावरण है |

3. पौष्टिक भोजन ( Nutritive Diet ) - बालक का स्वस्थ एवं स्वाभाविक विकास विशेष रूप से पौष्टिक  तथा संतुलित आहार पर निर्भर होता है  |

4. व्यायाम खेलकूद व मनोरंजन ( Exercise Game an Entertainment ) - सदैव काम करते रहना तथा खेलकूद ना करना मनोरंजन के अवसर ना मिलना बालक के विकास को मंद कर देता है | इस प्रकार शारीरिक विकास के लिए व्यायाम और खेलकूद अति महत्वपूर्ण होता है |  जिसके साथ मनोरंजन एवं मनोविनोद भी शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है|

5. प्रेम (Love ) - बालक के शरीर में शारीरिक विकास पर माता-पिता तथा अध्यापक के व्यवहार का भी काफी असर पड़ता है | यदि बालक को इनसे प्रेम और सहानुभूति नहीं मिलती है तो वह काफी दुखी रहने लगता है | जिससे उसके शरीर का संतुलित और स्वाभाविक विकास नहीं हो पाता है |

6. पारिवारिक परिवेश (Family Environment )परिवार ममता का स्थल होता है ममता, मैत्री, सहयोग,  परिवार में ही सुलभ होते हैं | अतः उपरोक्त शारीरिक विकास के लिए उपयुक्त परिवारिक परिवेश नितांत आवश्यक हो जाता है |

7. अन्य कारक (Other Factor ) - शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कुछ अन्य कारक भी है | जैसे- गर्भवती का स्वास्थ्य, रोगी अथवा दुर्घटना के कारण उत्पन्न शारीरिक  विकृतियां, जलवायु, समाज के परंपराएं, परिवार की आर्थिक स्थिति, परिवार का रहन-सहन, विद्यालय और शिक्षा आदि |

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